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अमृत - भजन - गंगा

श्री नाथ जी महाराज के मुखारविंद से श्री अमृत रूपी पावन भजन गंगा का पान करने का भरसक प्रयास करने का प्रयत्न किया है | श्री रतिनाथजी महाराज के आशीर्वाद स्वरुप

Tuesday, 8 June 2010

निंद्रा बेच दूँ कोई ले तो


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Posted by जय श्री नाथजी महाराज at 10:51 pm No comments:
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अमृत - भजन - गंगा

  • निंद्रा बेच दूँ कोई ले तो
  • अन्त बुढ़ापा आया सरगो रे
  • वन्दे देव उमापते
  • साईं के नाम बिना कोणी निस्तारो
  • भरत पियारा मेरो नाम हनुमान
  • मालिक के दरबार में
  • मंदिर जाती मीरा न सावंरियो मिल गयो रे
  • किशन मिल्या है समुंदर
  • भोली साधुडा से ठिसोली किलोल
  • किशन मिल्या है समुंदर

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